आज दोपहर बाद समाचार मिला कि फाइनल में पहुँचने की खुशी का दौर ख़त्म हो चुका है। जी हाँ ,श्रीनन्द कप के फाइनल मैच में खोखा ने श्रीनगर को हरा दिया। यह समाचार इतना दुखद था कि हमारे टीम के खिलाड़ी अपना-2 मोबाइल फोन बंद करके चुपचाप घरों में बैठे थे (भारत-पाकिस्तान का मैच देख रहे होंगे असल में)। खैर ,खेल आखिर खेल है,इसमें हार -जीत तो होती ही है....इसी वाक्य का इस्तेमाल कर के श्रीनगर के प्रशंसकों ने अपने ग़मों पर काबू पाया !
शनिवार का दिन श्रीनगर के लिए ''हटिया''(हाट) का दिन होता है। आसपास के गांवों के लोग मंगल और शनि,दोनों दिन बिना नागा किये हटिया आते हैं। यहाँ आलू-बैगन से लेकर नयी साइकिल तक ख़रीदी जा सकती है। पर आज श्रीनगर गाँव के लोग मायूसी में अपने-अपने घरों से कम निकले। कोई श्रीनगर टीम के खिलाड़ियों को बेवकूफ और जाहिल बता रहा था..तो कोई अपनी भडास निकालने के लिए चिरपरिचित सीमान्चली अंदाज़ में टीम का हिस्सा रहे खिलाड़ियों को सुना-सुना कर गालियाँ दे रहा था। हार इतनी शर्मनाक थी कि लोग अपनी भावनाओं को काबू में नहीं कर पा रहे थे।
वहीं खोखा टीम के खिलाड़ियों के हौसले बुलंद थे। आपको याद दिला दें कि पिछले बार दशहरे में हुए इसी टूर्नामेंट में खोखा टीम को उसके रवैये और जगैली टीम के खिलाड़ियों के साथ अभद्र व्यवहार के कारण काफी फटकार लगी थी । इस बार मिले शानदार जीत के बाद पिछले ग़मों को खोखा भूलने की कवायद करता नज़र आया। खोखा ने अपने प्रदर्शन से सिद्ध कर दिया है कि भविष्य में अगर पूरे प्रखंड को मिलाकर एक टीम बनाई जाय ,तो खोखा की टीम के स्टार खिलाड़ियों की जगह अविवादित होगी। खोखा टीम के कप्तान चन्दन झा ने इसे एक तरह से श्रीनगर के लिए जीत बताया,और कहा कि भले ही श्रीनगर और खोखा दो अलग-अलग टीमों के नाम हैं,लेकिन खोखा को तो श्रीनगर के नाम से ही दूर के लोग जानते हैं!!
शाम 6 बजे के करीब का वक़्त,मैं नोएडा के सेक्टर 10 में बैठकर अपने खबरियों के साथ फोन पर बात कर ही रहा था कि हटिया में मौजूद हमारे संवाददाता ने मुझे मोबाइल पर फोन कर के बतलाया कि खोखा के सभी नवयुवक अपने-अपने मोटरसाइकिलों पर तीन-तीन लोग (एक-एक बाइक पर तीन-तीन लोग) सवार होकर हटिया पहुंचे हैं और पान की दुकान पर खड़े होकर अपने जीत की दास्तान आसपास के गांववालों को बतला रहे हैं । मैंने अपने संवादवाहक को कहा कि --''उनके नज़दीक जाकर उनमें से किसी एक को अपना फोन पकडा दो ,और बतलाओ कि मैं बात करना चाहता हूँ''। फिर मैंने भी फोन करके उन्हें बधाई दिया और दफ्तर के कामों में लग गया ।
Saturday, September 26, 2009
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चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लिखते रहिये. शुभकामनाएं.
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लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
ReplyDeleteहिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है. थोडा टूल्स लगाकर सजा ले .
कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें .(हटाने के लिये देखे http://www.lifeplan.co.nr)
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
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बढ़िया आलेख ।
ReplyDeleteगुलमोहर का फूल
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है
ReplyDeleteआपका स्वागत है
ReplyDeleteशुभकामनाएं
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good
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